RBI की पॉलिसी मीटिंग: रेपो रेट जस की तस, महंगाई में राहत
अगस्त 2025 की पॉलिसी मीटिंग में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट 5.5% पर रोक दी। यह लगातार दूसरी बार है जब ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया। इससे पहले, इस साल फरवरी से अब तक कुल 100 बेसिस पॉइंट की कटौती हो चुकी है। जून में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद बाजार को उम्मीद थी कि आरबीआई इस बार सतर्क रुख अपनाएगा।
पिछले कुछ महीनों में खुदरा महंगाई भाषा में गिरावट देखी गई है। जून 2025 में हेडलाइन CPI यानी खुदरा मुद्रास्फीति 2.1% पर आ गई, जो पिछले 77 महीनों में सबसे कम रही। इसी को देखते हुए, आरबीआई ने FY26 के लिए महंगाई का अनुमान घटाकर 3.1% कर दिया है – पहले इसका अनुमान 3.7% रखा गया था।
आर्थिक विकास दर यानी GDP की बात करें तो, केंद्रीय बैंक ने अनुमान 6.5% पर बनाए रखा है। हालांकि, कुछ सैलानी विश्लेषकों के मुताबिक, प्राइवेट कंजम्प्शन और एक्सपोर्ट्स में सुस्ती के कारण जीडीपी ग्रोथ के संख्याओं में मामूली गिरावट आई है। जून में यह अनुमान 6.8% था, जो अब 6.7% किया गया है।
केवल रेपो रेट ही नहीं, जून में घोषित 50 बेसिस पॉइंट की कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) कटौती को भी सितंबर 2025 से लागू किया जाएगा। इस फैसले से बैंकों के पास उधार देने के लिए कैश बढ़ेगा, जिससे बाजार में लिक्विडिटी रह सकती है।
अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक हालात: आरबीआई की चिंता
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के निर्यात पर नए टैरिफ लगाने की संभावना जताई है। आरबीआई ने अपनी टिप्पणी में इन ग्लोबल रिस्क्स को स्पष्ट तौर पर शामिल किया है। बैंक का फोकस अब घरेलू मांग में सुधार पर भी है, ताकि अंतरराष्ट्रीय उतार-चढ़ाव का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर कम हो।
ग्लोबल महंगाई के ट्रेंड्स और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से पैदा हुए अनिश्चित माहौल को लेकर आरबीआई ने चेतावनी दी है कि वह लचीले रवैये के साथ आगे की पॉलिसी तय करेगा। MPC में सभी छह सदस्यों ने सर्वसम्मति से यही फैसला लिया कि अभी हालात पर नजर रखी जाए और कोई बड़ा बदलाव तभी हो जब आंकड़े उसके पक्ष में आएं।
मौजूदा रुख 'न्यूट्रल' है, यानी ना बहुत सख्ती, ना ही बहुत ढील। बाजारों ने भी इस फैसले को पहले ही अपनी कीमतों में शामिल कर लिया था, इसलिए बड़ा झटका नहीं लगा। आगे का रास्ता महंगाई आंकड़ों और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर टिका है। अगर महंगाई काबू में रही और विकास रफ्तार मजबूत दिखी, तो आगामी महीनों में रेट में और कटौती की उम्मीद जाग सकती है।