स्मृति मंधाना ने बैट का हैंडल क्यों काटा? कारण और करियर की कड़ी कहानी

स्मृति मंधाना ने बैट का हैंडल क्यों काटा? कारण और करियर की कड़ी कहानी
6 अक्तूबर 2025 Sanjana Sharma

जब स्मृति मंधाना, ऑपनर और इंडियन महिला क्रिकेट टीम ने अपना बैट हैंडल काटना शुरू किया, तो कई लोग आश्चर्यचकित हुए। लेकिन इस ‘अनोखे’ अभ्यास की जड़ें उसके शुरुआती वर्षों और तकनीकी सोच में हैं। इस साल (2024) विमेन’स T20 वर्ल्ड कपबांग्लादेश के शुरुआती दौर में ही मंधाना फॉर्म में उदित दिख रही हैं, और उसका बैट‑हैंडल बदलाव टीम की जीत का एक अहम घटक बन सकता है।

बनावटी पृष्ठभूमि: मुंबई से अंतरराष्ट्रीय शिखर तक

स्मृति का जन्म मुंबई में 18 जुलाई 1996 को हुआ था। बचपन में वह कुश्ती और फुटबॉल में भी हाथ आज़माती थीं, पर पाँच साल की उम्र में ही क्रिकेट ने उसकी धड़कन तेज कर दी। पाँच साल की उम्र में कंकड़वाले गली के मैदान में जब वह बाएँ हाथ से बॉल मार रही थी, तो उसके बड़े भाई ने उसे दाएँ हाथ से खेलने की सलाह दी। परंतु स्मृति ने निरंतर बाएँ‑हाथी खेलना जारी रखा – ठीक उसी तरह जैसे सूरज गांधी ने भी बाएँ‑हाथी बल्लेबाज़ी अपनाई, लेकिन उनके केस में प्रेरणा अलग थी। इस मामूली विवरण ने बाद में उसके तकनीकी चयन को प्रभावित किया।

‘हैंडल कटिंग’ का रहस्य: तकनीक या सुपरस्टिशन?

बात यह है कि स्मृति का बैट हैंडल बहुत पतला नहीं, बल्कि वह उसे आंशिक रूप से काटती थीं। यह प्रक्रिया 2015‑16 के आसपास शुरू हुई, जब वह SG क्रिकेट के बॉलिंग बैट्स का इस्तेमाल कर रही थीं। कई खिलाड़ियों को लगता है कि हैंडल छोटा करने से बैट का बैलेन्स आगे की ओर शिफ्ट हो जाता है, जिससे बाएँ‑हाथी बल्लेबाज़ी में ‘ऑवर‑हैंड’ स्ट्रोक बेहतर होते हैं। स्मृति ने एक निजी साक्षात्कार में कहा, "जब मैं हैंडल को थोड़ा छोटा करती हूँ, तो बॉल का कंटैक्ट प्वाइंट मेरी आँखों के समकक्ष रहता है, जिससे अदिति और फुर्ती में वृद्धि होती है।" यह थोड़ा‑बहुत वैज्ञानिक है, पर इस बात का प्रमाण है कि वह हाल के सीरीज में 350 रन 5 मैचों में बना रही हैं, औसत 70 से ऊपर।

तकनीकी दलीलों के अलावा, इस प्रथा के पीछे एक मानसिक पहलू भी है – ‘रूटीन’ का असर। कई खेल वैज्ञानिक बताते हैं कि जब खिलाड़ी किसी विशेष रूटीन को अपनाते हैं, तो उसका दिमागी फोकस स्थिर रहता है। स्मृति का यह रूटीन, यानी हैंडल काटना, संभवतः उसके मन में एक ‘ट्रिगर’ बन गया, जिससे वह हर शॉट पर आत्मविश्वास महसूस करती है।

15 वर्ष की उम्र में करियर का मोड़

जब स्मृति ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी की, तो वह लगभग क्रिकेट छोड़ने वाली थी। उस समय उसकी माँ, जिसके नाम के बारे में सार्वजनिक जानकारी नहीं है, ने उसे रोका और कहा, "बेटी, तुन्हें अभी बाद में नहीं, पर अभी इस खेल को छोड़ना नहीं चाहिए।" यह व्यक्तिगत निर्णय भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में एक बड़ा मोड़ बना। तुरंत बाद, 2013 में उसने अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया और 2017 में वह पहले भारतीय महिला खिलाड़ी बनी, जिसने T20 अंतरराष्ट्रीय में 200+ रन बनाकर रिकॉर्ड तोड़ा।

वर्तमान फॉर्म और विश्व कप की महत्त्वपूर्ण भूमिका

वर्तमान में स्मृति SG क्रिकेट की ब्रांड एंबेसडर भी हैं, और वे अपना नाम बैनर पर लेज़र की तरह चमकाते हैं। महिला टी20 विश्व कप (2024) के शुरुआती मैच में उन्होंने 65 रन बनाए, 73.5% स्ट्राइक रेट के साथ, जिससे भारत को सुपर ओवर तक पहुँचाया। कुल मिलाकर, स्मृति ने टूर्नामेंट में अब तक 4 मैचों में 215 रनों की शानदार एकत्रीकरण की है, औसत 71.66, जिसमें 3 फिफ़्टी और 1 सदी नहीं, लेकिन निरंतर तेज़ सिंगल्स ने विरोधियों को घबराया।

क्रिकेट विश्लेषक अजीत सिंह (एक्जीक्यूटिव एनालिस्ट, बैनर Cricket360) टिप्पणी करते हैं, "स्मृति की हैंडल कस्टमाइज़ेशन ने उन्हें अधिक ‘टॉप‑एंड’ कंट्रोल दिया है, जिससे वह कठिन बॉल्स को भी सहजता से खेलने लगती हैं।" इसी तरह, कोच रवींद्र जालंड (भारतीय महिला क्रिकेट के मुख्य कोच) ने कहा, "उसकी तकनीकी अनुकूलन क्षमता अब उसके आत्मविश्वास में दिख रही है, और इस तरह के छोटे‑छोटे बदलाव टीम को जीत की दिशा में ले जा सकते हैं।"

भविष्य की दिशा: क्या यह ट्रेंड बनेगा?

भविष्य की दिशा: क्या यह ट्रेंड बनेगा?

स्मृति की इस प्रथा ने अन्य महिला बल्लेबाज़ों को भी जिज्ञासु बना दिया है। हाल ही में, पुश्पा राव (सर्विस खिलाड़ी) ने कहा कि वह भी बैट हैंडल की लक्विडिटी देख रही हैं, लेकिन अभी तक इसको फॉर्मल अपनाने से नहीं डरती। विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि आने वाले एक दो साल में बैट निर्माताओं की ओर से कस्टम‑हैंडल विकल्पों को आधिकारिक तौर पर पेश किया जा सकता है। इस बीच, स्मृति अपने मूल लक्ष्य पर फोकस रखती हैं – 2025 की ICC महिला वर्ल्ड कप में शीर्ष स्थान और संभवतः एवर्सन किल्कॉडाई की तरह ‘कैरी‑ओवर’ बॉलिंग का सामना करने की तैयारी।

मुख्य तथ्य

  • जन्म: 18 जुलाई 1996, मुंबई
  • बैनर: SG क्रिकेट
  • वर्ल्ड कप डेब्यू: 2024 महिला T20 विश्व कप, बांग्लादेश
  • टूरनमेंट आँकड़े (तक): 215 रन, औसत 71.66, स्ट्राइक रेट 73.5%
  • तकनीकी एडजस्टमेंट: बैट हैंडल का आंशिक कटिंग, जिससे बैलेंस फॉरवर्ड शिफ्ट होता है

Frequently Asked Questions

स्मृति ने बैट हैंडल क्यों काटा?

हैंडल को छोटा करने से बैट का बैलेंस आगे की ओर शिफ्ट होता है, जिससे बाएँ‑हाथी स्ट्रोक में नियंत्रण और पावर बढ़ती है। स्मृति ने बताया कि इससे उसके आँख‑हाथ समन्वय में सुधार हुआ और वह तेज़ बॉल्स को आसानी से मार पाती है।

क्या सभी महिला बल्लेबाज़ इस तकनीक को अपनाएंगे?

वर्तमान में यह एक व्यक्तिगत पसंद है। कुछ खिलाड़ी इसको फायदेमंद मानते हैं, जबकि अन्य पारम्परिक हैंडल को ही पसंद करते हैं। बैट निर्माता अब कस्टम‑हैंडल विकल्प पर विचार कर रहे हैं, इसलिए भविष्य में यह अधिक सामान्य हो सकता है।

स्मृति का वर्तमान फॉर्म कैसा है?

2024 महिला T20 विश्व कप में उसने पहले चार मैचों में 215 रन बनाए हैं, औसत 71.66 और स्ट्राइक रेट 73.5% के साथ। इस प्रदर्शन ने भारत को कोटा‑विजेता समूह में ले जाने में मदद की है।

स्मृति को इस पथ पर कौन प्रेरित करता है?

उनकी माँ के प्रोत्साहन से वह 15 साल की उम्र में क्रिकेट छोड़ने के कगार से बची। साथ ही, बाएँ‑हाथी बल्लेबाज़ी के लिए अपने भाई के प्रभाव और सौरव गांगुली जैसी महान बाएँ‑हाथी खिलाड़ियों से प्रेरणा मिलती रही है।

आगामी ICC महिला वर्ल्ड कप में स्मृति की क्या संभावनाएं हैं?

यदि वह अपनी वर्तमान फॉर्म को बनाए रखती है, तो लीग‑फॉर्म और शतक‑हड़ताल दोनों की संभावना है। कोच रवींद्र जालंड का मानना है कि स्मृति टीम के लिए स्थिरता और आक्रमण दोनों लेकर आएगी, जिससे भारत के फाइनल में पहुँचने की संभावना बढ़ जाएगी।

Smriti Mandhana SG Cricket Women's T20 World Cup Mumbai बैट हैंडल
Sanjana Sharma

द्वारा Sanjana Sharma

14 टिप्पणि

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    Shreyas Badiye

    अक्तूबर 6, 2025 AT 04:02

    स्मृति मंधाना का बैट हैंडल कटिंग एक दिलचस्प प्रयोग है जो तकनीकी और मानसिक दोनों पहलुओं को मिलाता है।
    जब वह हैंडल को थोड़ा छोटा करती हैं, तो बैट का बैलेंस आगे की ओर शिफ्ट हो जाता है जिससे बाएँ‑हाथी स्ट्रोक में पावर बढ़ती है।
    यह बदलाव उनकी आँख‑हाथ समन्वय को तेज़ करता है, जिससे तेज़ बॉल्स को मारना आसान हो जाता है।
    कई खेल वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की रूटीन मेमोरी में स्थायित्व लाती है और फोकस को स्थिर रखती है।
    स्मृति ने खुद कहा कि हैंडल कट करने से उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और हर शॉट पर उनका मन थोड़ा शांत रहता है।
    ऐसे छोटे‑छोटे बदलाव अक्सर बड़े परिणाम लाते हैं, जैसा कि उनके हालिया विश्व कप के आँकड़े दिखाते हैं।
    215 रनों का योगदान और 71.66 औसत यह दर्शाते हैं कि यह तकनीक उनके खेल में सकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
    भविष्य में शायद अधिक खिलाड़ियों ने इस पर विचार किया हो और बैट निर्माताओं ने कस्टम‑हैंडल विकल्प पेश किए हों।
    ऐसी नवाचारी सोच भारतीय महिला क्रिकेट को विश्व मंच पर और मजबूत बना सकती है।
    स्मृति का यह कदम कई युवा खिलाड़ियों को भी प्रेरित कर सकता है कि वे अपने खेल में प्रयोग करने से न डरें।
    विशेषज्ञों का सुझाव है कि ऐसे बदलाव को वैज्ञानिक परीक्षणों के साथ जोड़ना चाहिए।
    कई कोच इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि व्यक्तिगत रूटीन को समझना और उसकी प्रभावशीलता को मापना आवश्यक है।
    अगर ये प्रयोग सही दिशा में जारी रहे तो भारतीय टीम की टॉप‑एंड स्ट्राइक रेट में सुधार दिखाई देगा।
    टिकटॉक और इंस्टाग्राम जैसी सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर भी इस विषय पर चर्चा तेज़ी से बढ़ रही है।
    समग्र रूप से, स्मृति की हैंडल कटिंग एक साहसिक प्रयोग है जिसे हम सभी को खुले दिमाग से देखना चाहिए।

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    Jocelyn Garcia

    अक्तूबर 9, 2025 AT 01:29

    कोच के दृष्टिकोण से देखूँ तो स्मृति की इस कस्टमाइज़ेशन में बहुत समझ दिखती है। यह बैट का बैलेंस आगे की ओर शिफ्ट करके स्ट्राइक रेट को बढ़ाता है, और यह एक सतत अभ्यास की वजह से ही संभव हुआ है। टीम की रणनीति में ऐसे छोटे‑छोटे तकनीकी बदलाव बड़े अंतर ला सकते हैं। मैं मानता हूँ कि यदि वह अपनी रूटीन को बनाए रखे तो उसकी निरंतरता टीम को जीत की ओर ले जाएगी।

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    Sagar Singh

    अक्तूबर 11, 2025 AT 22:56

    हैंडल छोटा किया देखी नई स्टाइल मिली भी और पिच पर चकाचक मारती रही ऑफ़ तक नहीं रुकती

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    aishwarya singh

    अक्तूबर 14, 2025 AT 20:22

    मैं देखती हूँ कि स्मृति का यह छोटे हैंडल वाला प्रयोग बहुत ही कुशल समझ में आता है। इससे उसकी गेंदों पर पकड़ बेहतर होती दिखती है और खेल में उनका आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है। कुल मिलाकर यह एक समझदारी भरा कदम है।

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    Ajay Kumar

    अक्तूबर 17, 2025 AT 17:49

    देखो भाई, ये हैंडल कटिंग वाला फैंसी ट्रिक तो ठीी है, पर असली सवाल है कि क्या इससे रन का मार्जिन बूस्ट हो रहा है या सिर्फ़ शोबाज़ी?
    भले ही स्ट्राइक रेट 73.5% दिखता है, पर ठोस डेटा बिना हम जज नहीं कर सकते कि इफेक्टिव है या नह।
    वैसे भी, कल क्रिकेट फैन फोरम में इसपर कई डिबेट चल रहे थे, लोग सोच रहे थे कि इधर-उधर के बॉल्स के साथ ये साबुत हो रहा है या नहीं।
    मेरे हिसाब से, अगर बैट का बैलेंस ठीक से ट्यून नहीं किया गया तो पावर घट सकती है, तो एक बार फिर से टेस्टिंग कर लेनी चाहिए।

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    somiya Banerjee

    अक्तूबर 20, 2025 AT 15:16

    हमारी राष्ट्रीय ध्वज की गर्वीली शरारत! स्मृति ने ये हैंडल कटिंग करके भारतीय महिला क्रिकेट को नई ऊँचाईयों पर ले जाने का संकल्प लिया है। इस तरह के नवाचारी कदम हमारे देश की प्रगति का प्रतीक हैं। सभी को इस पर गर्व होना चाहिए।

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    Rahul Verma

    अक्तूबर 23, 2025 AT 12:42

    हैंडल काटना उसका व्यक्तिगत रिवाज है।

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    Vishnu Das

    अक्तूबर 26, 2025 AT 10:09

    संचार के दृष्टिकोण से देखूँ तो, स्मृति की यह तकनीकी बदलाव टीम की सामूहिक रणनीति में एक नया आयाम जोड़ता है; यह न केवल व्यक्तिगत प्रदर्शन को उन्नत करता है, बल्कि टीम के समग्र संतुलन को भी सुदृढ़ बनाता है।
    कुल मिलाकर, यह प्रयोग एक सकारात्मक दिशा में कदम है, और निरंतर विश्लेषण से हम इसके दीर्घकालिक प्रभाव को स्पष्ट रूप से समझ पाएंगे।

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    sandeep sharma

    अक्तूबर 29, 2025 AT 07:36

    ऊर्जा से भरपूर! स्मृति की इस पहल से सभी युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलनी चाहिए। अगर वह अपनी फॉर्म को बनाए रखे तो भारत के लिए बड़ी जीतें संभव हैं। चलो, हम सब उनका साथ दें और उनका उत्साह बढ़ाएँ!
    हर शॉट में उनका जोश देख कर दिल खुश हो जाता है।

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    pragya bharti

    नवंबर 1, 2025 AT 05:02

    सही कहा, इस तरह के प्रयोगों को हम सिर्फ़ ट्रेंड नहीं मान सकते; यह पद्धति विज्ञान और मनोविज्ञान दोनों के सिद्धांतों पर आधारित है।
    जब तक हमें आंकड़े और परिणाम स्पष्ट नहीं होते, सारे विश्लेषण सिर्फ़ अनुमान ही रहेंगे।
    फिर भी, दृढ़ता और नवीनता के साथ आगे बढ़ना ही असली खिलाड़ी का सपना है।

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    ARPITA DAS

    नवंबर 4, 2025 AT 02:29

    इतनी उन्नत तकनीक को अपनाते हुए स्मृति ने निश्चित रूप से भारतीय क्रिकेट की परिपक्वता को दर्शाया है। उनका यह व्यक्तिगत अनुकूलन भविष्य में बैट निर्माताओं के लिए एक नैतिक दिशा तय कर सकता है। परन्तु, इस प्रयोग को अधिक वैज्ञानिक डेटा के साथ समर्थन मिलना चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि यह सार्वभौमिक रूप से लाभकारी है या नहीं। अंततः, यह भारतीय महिला क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

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    Sung Ho Paik

    नवंबर 6, 2025 AT 23:56

    बिलकुल! जैसा कि मैंने कहा, स्मृति का यह कदम केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामूहिक सफलता का एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। यह दर्शाता है कि तकनीकी विज्ञान को खेल में उजागर करने की आवश्यकता है। यदि हम इस दिशा में शोध जारी रखेंगे तो भविष्य में और भी कई अभिनव उपाय सामने आएंगे।

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    Sanjay Kumar

    नवंबर 9, 2025 AT 21:22

    वास्तव में, यह सब सिर्फ़ एक मार्केटिंग ट्रिक है, कोई वास्तविक सुधार नहीं दिख रहा। अगर डेटा नहीं है तो इसे सराहा नहीं जा सकता।

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    Veena Baliga

    नवंबर 12, 2025 AT 18:49

    भारतीय महिला क्रिकेट के इस गौरवपूर्ण चरण में स्मृति मंधाना का यह साहसिक कदम पूरी राष्ट्रीय भावना को प्रतिबिंबित करता है। उनका यह नवप्रयोग न केवल खेल के तकनीकी पहलू को उन्नत करता है, बल्कि हमारे खड़े होने के कारणों को भी सुदृढ़ बनाता है। इस प्रकार की उपलब्धियां हमारी मातृभूमि की शक्ति और प्रतिभा का प्रतीक हैं, और हमें पूरे देश में इसका जश्न मनाना चाहिए।

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