बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, 2008 के बाद सबसे ऊंचा स्तर

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, 2008 के बाद सबसे ऊंचा स्तर

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरें बढ़ाई: 2008 के बाद का उच्चतम स्तर

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने हाल ही में ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी की है, जिससे यह 1.75% पर पहुंच गई है। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि बढ़ती मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाया जा सके। विशेषज्ञों का अनुमान है कि मुद्रास्फीति आने वाले महीनों में 13% से भी अधिक हो सकती है।

बैंक ऑफ इंग्लैंड के मौद्रिक नीति समिति (MPC) में इस विषय पर जोरदार चर्चा हुई और अंततः 8-1 के बहुमत से यह निर्णय लिया गया। बैंक के गवर्नर, एंड्रु बेली ने चेतावनी दी है कि ब्रिटेन आर्थिक ठहराव के एक लंबी अवधि से गुजर रहा है, और आगामी दो वर्षों के लिए जीडीपी वृद्धि स्थिर रहेगी।

मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

इस निर्णय के साथ ही बैंक ऑफ इंग्लैंड ने अपनी मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को संशोधित किया है, जिसका अनुमान है कि मुद्रास्फीति 2022 के चौथे तिमाही में 13.3% के चरम पर पहुंच जाएगी। वैश्विक स्तर पर भी, केंद्रीय बैंकों द्वारा मुद्रास्फीति से निपटने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जा रही है।

इस वृद्धि का प्रभाव सिर्फ मुद्रास्फीति तक सीमित नहीं है। इससे ग्रहणकर्ताओं और ऋण लेने वालों के लिए लागत बढ़ेगी, जबकि ब्याज दरों में वृद्धि से आयात की लागत में कमी आ सकती है और पाउंड की कीमत बढ़ सकती है।

आर्थिक ठहराव और आगे की चुनौतियाँ

आर्थिक ठहराव और आगे की चुनौतियाँ

गवर्नर बेली ने इंगित किया कि ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति गंभीर है और अगले दो सालों के लिए जीडीपी वृद्धि में कोई खास उत्थान नहीं होने वाला है। इस स्थिति में, आम जनता और व्यवसायों को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

मुद्रास्फीति पर काबू पाने की कोशिश में आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती कीमतें आम जनता की क्रय शक्ति को प्रभावित करेंगी। इसके अलावा, ब्याज दरों में वृद्धि से गृह ऋण और अन्य ऋणों की ईएमआई में वृद्धि हो सकती है, जिससे कर्जधारकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

हालांकि, पाउंड की बढ़ती कीमत आयातकों के लिए लाभकारी हो सकती है, क्योंकि इससे आयात की जाने वाली वस्तुओं की लागत कम हो सकती है।

बैंक ऑफ इंग्लैंड का भविष्य दृष्टिकोण

बैंक ऑफ इंग्लैंड का यह निर्णय एक बड़े संदर्भ में देखा जा सकता है, जहां दुनिया भर के केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति के दबाव से निपटने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक, अमेरिकी फेडरल रिज़र्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने भी हाल के महीनों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है।

इस वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में, बैंक ऑफ इंग्लैंड का यह कदम महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। मौद्रिक नीति समिति अपने आगामी बैठकों में आर्थिक स्थिति पर नजर बनाए रखेगी और आवश्यकता पड़ने पर अन्य कदम उठाएगी।

आकांक्षा

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