25 अक्टूबर 2023 को, एम्मा, थाईलैंड की एक ट्रैवल ब्लॉगर जिनका इंस्टाग्राम हैंडल @discoverwithemma_ है और जिनके पास 51.8 लाख फॉलोअर्स हैं, ने केरल के कोच्चि से वरकला जाने वाली एक भारतीय रेलवे ट्रेन में अपनी यात्रा का एक वीडियो शेयर किया, जिसने देश भर में तूफान खड़ा कर दिया। वीडियो में एम्मा ने बताया कि उन्हें अपनी AC सीट नहीं मिली — न तो बुकिंग फेल हुई, न ही कोई जगह छूटी — बल्कि उन्हें ट्रेन के टॉयलेट के बिल्कुल पास खड़े होकर 6 घंटे की यात्रा करनी पड़ी। "गर्मी, पसीने की गंध, और इतनी भीड़ कि एक बार खड़े हो जाने के बाद चलना भी मुश्किल हो गया," उन्होंने कैप्शन में लिखा। वीडियो को देखकर लोगों को लगा कि ये कोई डॉक्यूमेंट्री नहीं, बल्कि एक असली भारतीय रेल यात्रा की असलियत है।
वीडियो वायरल हुआ, तो फिर क्या हुआ?
इस वीडियो को जब एक X (पहले ट्विटर) यूजर @Ilyas_SK_31 ने शेयर किया, तो यह तेजी से फैल गया। उन्होंने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को टैग किया और लिखा — "इस विदेशी ब्लॉगर को भारतीय रेलवे का मजाक उड़ाने दें?" उन्होंने आगे कहा कि ऐसे कंटेंट क्रिएटर्स को "फर्स्ट क्लास सुविधाएं" दी जाएं, ताकि वे "फर्स्ट क्लास वीडियो" बना सकें। यह ट्वीट सिर्फ एक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक बड़ी आवाज़ बन गया। लगभग 10 लाख व्यूज, 16,000 से अधिक लाइक्स और सैकड़ों कमेंट्स — जिनमें बहुत से भारतीय यूजर्स ने लिखा कि "हम भी ऐसे ही यात्रा करते हैं, लेकिन किसी ने कभी वीडियो नहीं बनाया।"
भारतीय यूजर्स का गुस्सा: विदेशी को निशाना बनाना ठीक है?
यहां तक कि जब एम्मा ने अपने वीडियो में सिर्फ अपना अनुभव बांटा और यात्रियों के लिए एक सुझाव दिया — "अगर आप भारत आ रहे हैं, तो ट्रेन पहले से बुक कर लें" — तब भी कुछ भारतीय यूजर्स ने इसे एक "देश के खिलाफ अपमान" के रूप में लिया। कुछ ने कहा कि "हमारी ट्रेनों में भीड़ है, लेकिन इसे विदेशी ब्लॉगर बना रही हैं जैसे कोई एक्सोटिक एक्सपीरियंस हो।" दूसरी ओर, कई युवा यूजर्स ने उत्तर दिया — "हम अपनी समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं, और अब जब कोई बाहर से देख रहा है, तो उसे गाली दे रहे हैं?"
रेलवे की वास्तविक स्थिति: वंदे भारत और भीड़ के बीच
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले तीन सालों में भारतीय रेलवे को आधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं — वंदे भारत एक्सप्रेस, डिजिटल बुकिंग, डिजिटल टॉयलेट, और एसी डिब्बों में वाई-फाई। लेकिन ये सुधार अभी भी सीमित रूट्स पर ही सीमित हैं। कोच्चि-वरकला जैसे टूरिस्ट रूट्स पर, जहां गर्मियों में दर्जनों विदेशी यात्री आते हैं, ट्रेनों की क्षमता 150% से भी ज्यादा हो जाती है। एक अधिकारी ने अनौपचारिक रूप से कहा — "हम एक ट्रेन में 1200 यात्री भर देते हैं, जबकि डिज़ाइन केवल 800 के लिए है।" ये समस्या बस एम्मा की नहीं, बल्कि हर भारतीय यात्री की है।
क्या होगा अब? विदेशी पर्यटकों के लिए कोई समाधान?
इस विवाद के बाद, रेलवे अधिकारी अब एक नई चुनौती का सामना कर रहे हैं — विदेशी पर्यटकों के लिए क्या विशेष सुविधाएं बनाई जाएं? क्या उन्हें टूरिस्ट ट्रेनों में प्राथमिकता दी जाए? क्या ट्रेनों के लिए विदेशी यात्रियों के लिए अलग बुकिंग लेने का विकल्प दिया जाए? यह सवाल अभी तक जवाब का इंतजार कर रहा है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी रेलवे व्यवस्था को एक "टूरिस्ट फ्रेंडली सिस्टम" में बदलने की जरूरत है — न कि सिर्फ एक यातायात व्यवस्था।
एम्मा का असली संदेश: भारत की असलियत, न कि इमेज
एम्मा ने कभी भारत की आलोचना नहीं की। उन्होंने सिर्फ अपनी यात्रा का सच बताया। उन्होंने वीडियो में कहा — "मैं भारत से प्यार करती हूं। मैंने यहां की खूबसूरती, लोगों की मेहनत और भोजन देखा। लेकिन ये ट्रेन... ये असली है।" और शायद यही उनका सबसे बड़ा संदेश था — भारत को अपनी असलियत को स्वीकार करना होगा, न कि उसे छुपाना।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
एम्मा ने ट्रेन में सीट क्यों नहीं पाई?
एम्मा ने अपनी AC सीटें बुक करने की कोशिश की, लेकिन एक काउंटर स्टाफ ने उन्हें उसी दिन आने को कहा, जिसके बाद सीटें भर चुकी थीं। रेलवे की ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम में भी कई बार त्रुटियां होती हैं, और विदेशी यात्री अक्सर इन तकनीकी और संचार समस्याओं का शिकार बन जाते हैं।
क्या भारतीय ट्रेनों में यह भीड़ असामान्य है?
नहीं। भारतीय रेलवे वार्षिक 8.5 अरब यात्रियों को सेवा देता है, और गर्मियों और त्योहारों के मौसम में ट्रेनें 150-200% क्षमता से भर जाती हैं। कोच्चि-वरकला जैसे टूरिस्ट रूट्स पर यह समस्या और भी तीव्र हो जाती है, जहां अक्सर यात्री टॉयलेट के पास या डिब्बे के दरवाजे पर खड़े होकर यात्रा करते हैं।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पर प्रतिक्रिया दी है?
अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, रेलवे के एक अधिकारी ने अनौपचारिक रूप से कहा कि इस घटना को देखते हुए विदेशी यात्रियों के लिए टूरिस्ट फ्रेंडली गाइडलाइन्स तैयार की जा रही हैं, जिसमें बुकिंग सपोर्ट और विशेष काउंटर शामिल हो सकते हैं।
क्या विदेशी ब्लॉगर्स को भारतीय ट्रेनों में अलग सुविधाएं दी जानी चाहिए?
हां। जब भारत टूरिज्म को बढ़ावा दे रहा है, तो विदेशी यात्रियों के लिए अलग से ट्रेनों या कम से कम अलग बुकिंग लेने की सुविधा जरूरी है। उदाहरण के लिए, जापान और जर्मनी में टूरिस्ट ट्रेनों के लिए अलग सीट आरक्षित की जाती हैं। भारत को भी ऐसी नीति बनाने की जरूरत है — न कि विदेशी यात्रियों को अपमानित करने की।
क्या एम्मा का वीडियो भारत की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है?
नहीं। एक सच्ची यात्रा की कहानी छवि को नुकसान नहीं, बल्कि विश्वास बढ़ाती है। जब एक विदेशी यात्री बताती है कि भारत की ट्रेनें भीड़भाड़ से भरी हैं, तो यह उसकी निष्पक्ष रिपोर्ट है। असली चुनौती यह है कि हम अपनी व्यवस्था को सुधारें, न कि उस व्यक्ति को दोष दें जिसने इसे दिखाया।
क्या इस घटना से भारतीय रेलवे में कोई बदलाव आएगा?
अभी तक कोई नीतिगत बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन इस घटना ने एक जरूरी बात सामने ला दी — टूरिस्ट रूट्स की यात्री क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। अगर रेलवे ने इसे अनदेखा किया, तो आने वाले सालों में विदेशी यात्रियों की संख्या कम हो सकती है। यह एक अवसर है, न कि एक आलोचना।
Amita Sinha
नवंबर 29, 2025 AT 06:52ये विदेशी ब्लॉगर तो बस अपनी फोटोज़ के लिए आती है, फिर ट्रेन में भीड़ देखकर वीडियो बना देती है 😒 भारतीय यात्री कितने दिन से ऐसे ही यात्रा कर रहे हैं, किसी ने कभी शिकायत नहीं की। अब जब कोई बाहरी ने बताया तो सब उठ खड़े हुए! ये देश का अपमान है, न कि सुधार का संकेत 🤦♀️
Bhavesh Makwana
नवंबर 30, 2025 AT 15:51असली सवाल ये है कि हम अपनी व्यवस्था को बदलने की बजाय, जिसने इसे दिखाया उसे टारगेट क्यों कर रहे हैं? एम्मा ने कोई झूठ नहीं बोला, बस अपना अनुभव शेयर किया। अगर हम अपनी ट्रेनों को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए, न कि एक आक्रमण के रूप में।
Vikash Kumar
दिसंबर 1, 2025 AT 10:16भारतीय रेलवे बस एक बड़ा गंदा अंधेरा है। वंदे भारत? बस नाम का झूठ। जब तक ट्रेनों में भीड़ 150% तक भरी रहेगी, तब तक कोई सुधार नहीं। ये ब्लॉगर ने तो बस एक बूंद पानी डाल दिया, पूरा तालाब उखड़ गया।
Siddharth Gupta
दिसंबर 3, 2025 AT 08:21दोस्तों, ये बात तो सब जानते हैं कि ट्रेनें भरी होती हैं। लेकिन जब कोई विदेशी बताता है, तो हम लोग बोल उठते हैं - "अरे ये क्या बात है?" 😅 असली बात ये है कि हम अपनी समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं। एम्मा ने भारत को नहीं, बल्कि हमें दर्पण दिखाया है। अब ये दर्पण तोड़ने की बजाय, उसमें देखो। 🙏
Anoop Singh
दिसंबर 5, 2025 AT 02:37ये ब्लॉगर ने जो किया वो बिल्कुल गलत है। उसे भारत आने से पहले रेलवे की स्थिति का पता होना चाहिए था। अगर वो ट्रेन में खड़ी हो गई तो उसकी गलती है, न कि रेलवे की। अब ये सब बहस बेकार है।
Omkar Salunkhe
दिसंबर 5, 2025 AT 10:24रेलवे के लोग तो बस चिल्लाते हैं कि वंदे भारत है वंदे भारत, पर ट्रेन में जाकर देखो तो बस वंदे भाड़ 😂 ये ब्लॉगर ने तो बस एक फोटो डाली और सब उठ खड़े हुए। अगर ये वायरल हो गया तो रेलवे को बदलना पड़ेगा, नहीं तो फिर कोई विदेशी नहीं आएगा।