जब Philip Newman, Managing Director Metals Focus ने वैश्विक सिल्वर कीमतों में 30% की छः‑महीने की वृद्धि का उल्लेख किया, तो यही समय था जब Prathamesh Mallya, Deputy Vice President – Research (Non‑Agri Commodities) Angel One ने भारत में स्पॉट सिल्वर के ₹150 प्रति ग्राम तक पहुँचने की बात बतली। इस उछाल के पीछे Multi Commodity Exchange (MCX) के अनुबंध, US Federal Reserve की दर‑कटौती, और Donald Trump द्वारा घोषित नए टैरिफ़ का मिश्रण था। भारत में, Navratri उत्सव‑संबंधी मांग, विशेषकर Chennai, Hyderabad और Kerala जैसे शहरों में, ने कीमतों को इस स्तर तक पहुँचाया।
सिल्वर कीमतों की हालिया स्थिति
29 सितंबर 2025 को भारतीय बाजार में सिल्वर की कीमतें ₹150 प्रति ग्राम और ₹1,50,000 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गईं। MCX पर दिसंबर 2025 कॉन्ट्रैक्ट ₹1,44,179 प्रति किलोग्राम पर बंद हुआ, जो पिछले सत्र से ₹2,290 या 1.61% की वृद्धि थी। मार्च 2026 कॉन्ट्रैक्ट ने 1.79% की छलांग लगाई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि बुलिश ट्रेंड विभिन्न डिलीवरी महीनों में समान रूप से फैला हुआ है।
अंतराष्ट्रीय स्तर पर, सिल्वर की कीमत $44.86 प्रति औंस पर स्थिर रही, जो एक दशक के भीतर सबसे अधिक स्तर था। 2024 में औसत $28.27 और 2023 में $23.35 से यह वार्षिक उछाल स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि निवेशकों ने सुरक्षित आश्रय के रूप में सिल्वर को फिर से अपनाया है।
मुख्य कारण: मौद्रिक नीतियों से लेकर त्योहारी मांग तक
सिल्वर की कीमतों पर प्रभाव डालने वाले कारकों को दो मुख्य श्रेणियों में बाँटा जा सकता है: आर्थिक‑वित्तीय नीतियां और भारतीय त्योहारी परिदृश्य।
- US Federal Reserve ने ब्याज दरों में धीरे‑धीरे कटौती शुरू की, जिससे सुरक्षा‑आधारित धातु‑संपत्तियों की आकर्षण बढ़ी।
- डॉलर में कमजोरी और संभावित स्टैगफ्लेशन की आशंकाओं ने निवेशकों को सोना‑सिल्वर जैसे हेज़ में लाया।
- चीन‑अमेरिका के बीच चल रही भू‑राजनीतिक तनाव ने बाजार में अनिश्चितता को बढ़ावा दिया, जिससे सिल्वर को "लॉजिकल लाइटहाउस" माना गया।
- भारत में Navratri के दौरान उपभोक्ता व्यवहार में तेज़ी, विशेषकर धार्मिक एवं शादियों में सिल्वर के आभूषण की माँग, ने कीमतों को ऊपर धकेला।
यह सभी कारक मिलकर सिल्वर को एक मजबूत, दो‑धारी – औद्योगिक एवं निवेश‑उन्मुख – वस्तु बना रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय और बाजार की ध्वनियां
Metals Focus के Philip Newman ने कहा, “ज्यादा दर‑कटौती और डॉलर के दबाव पर सिल्वर की लागत‑ऑफ‑कैरी घटती है, जिससे यह निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक हो जाता है।” उन्होंने आगे कहा कि “गोल्ड को मुख्य लाभार्थी मानते हुए, सिल्वर को इस प्रवाह का सकारात्मक साइड‑इफ़ेक्ट मिल रहा है।”
दूसरी ओर, Angel One के Prathamesh Mallya ने इस बात पर ज़ोर दिया कि “गोल्ड की लहर अभी भी जारी है, लेकिन सिल्वर भी अब टैप के किनारे पर नहीं है।" उन्होंने संभावित जोखिमों की चर्चा की, जिसमें टैरिफ़, रूसी‑युक्रेनी युद्ध, और US‑China ट्रेड तनाव शामिल हैं।
उद्योगों पर पड़ता असर
सिल्वर की बढ़ती कीमतें सिर्फ निवेशकों को ही नहीं, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र को भी प्रभावित कर रही हैं। फोटोवोल्टिक सौर पैनल निर्माताओं को अब सिल्वर की उच्च लागत के कारण अपनी सामग्री जरूरतों को कम करने के लिए नई तकनीकों को अपनाना पड़ रहा है। एक झटका इस बात में है कि सिल्वर की लागत हर किलोग्राम पर लगभग ₹70,000 बढ़ गई है, जिससे उत्पादन शुल्क में प्रत्यक्ष असर दिखाई दे रहा है।
इसी बीच, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियाँ, जो कनेक्टर और सर्किट प्रिंटिंग में सिल्वर का वापर करती हैं, भी वैकल्पिक धातुओं की तलाश में हैं। इस रुझान ने बाजार में सिल्वर की आपूर्ति‑डिमांड संतुलन को नया आकार दिया है, जिससे कीमतों में स्थायित्व की संभावना बनी हुई है।
भविष्य की दिशा: क्या सिल्वर और भी ऊँचा जा सकता है?
आगामी महीनों में US Federal Reserve की दर‑कटौती की गति, रूसी‑युक्रेनी संघर्ष के निरंतर प्रभाव, और US‑China ट्रेड टकराव जैसे कारक सिल्वर को समर्थन देंगे। साथ ही, भारतीय त्योहारी सीजन (दीवाली, नवम्बर) भी कीमतों को बूस्ट कर सकता है।
हालाँकि, अगर वैश्विक आर्थिक पुनरुत्थान तेज़ी से शुरू हो गया और डॉलर फिर से ताकतवर हो गया, तो सिल्वर की आकर्षण में गिरावट देखी जा सकती है। निवेशकों को दोनों संभावनाओं के बीच संतुलन बनाते रहने की सलाह दी जा रही है।
सारांश: क्यों यह खबर महत्व रखती है?
सिल्वर ने न केवल निवेशकों के लिए सुरक्षित आश्रय का काम किया, बल्कि भारत में कई प्रमुख उद्योगों को भी प्रभावित किया। कीमतों में इस रिकॉर्ड उछाल ने व्यापारियों को नई रणनीतियों की जरूरत बता दी, जबकि वित्तीय बाजार के विशेषज्ञ इस बात को देखते हैं कि यह सिल्वर के भविष्य के लिए एक मजबूत आधारशिला बन सकता है।
Frequently Asked Questions
सिल्वर की कीमतों में इतनी तेजी से उछाल क्यों हुआ?
मुख्य कारणों में US Federal Reserve की ब्याज दर कटौती, डॉलर में गिरावट, स्टैगफ्लेशन की आशंकाएँ, और भारत में Navratri जैसी त्योहारी मांग का एक साथ असर शामिल है। इन कारकों ने निवेशकों को हेज़ के रूप में सिल्वर की ओर आकर्षित किया, जिससे कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गईं।
क्या सिल्वर की कीमतें अगले महीने तक और बढ़ सकती हैं?
संभावना बनी हुई है, खासकर अगर US Federal Reserve अतिरिक्त दर कटौती जारी रखे और वैश्विक भू‑राजनीतिक तनाव बढ़े। साथ ही, भारतीय दीवाली सीजन भी मांग को बढ़ा सकता है। परंतु यदि डॉलर फिर से मजबूत हो गया या औद्योगिक मांग घट गई तो कीमतों में ठहराव भी देखी जा सकती है।
सिल्वर की कीमतों के बढ़ने से भारतीय उद्योगों पर क्या असर पड़ेगा?
सौर पैनल निर्माताओं को अब सिल्वर की लागत घटाने के लिए वैकल्पिक सामग्री अपनानी पड़ेगी, जिससे उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव आएगा। इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र भी समान दबाव का सामना कर रहा है, जहाँ वे किफायती सामग्रियों की तलाश में हैं। यह कीमतों की निरंतरता को उद्योगों के लिए चुनौतीपूर्ण बनाता है।
इन कीमतों में निवेश करना सुरक्षित है या जोखिम भरा?
सिल्वर को ऐतिहासिक रूप से सुरक्षित ठहराव माना जाता रहा है, लेकिन वर्तमान में इसकी दोहरी भूमिका (औद्योगिक और निवेश) इसे अधिक संवेदनशील बना रही है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि पोर्टफ़ोलियो में सीमित भाग को सिल्वर में रखें और अन्य हेजिंग विकल्पों के साथ संतुलन बनाएँ।
Govind Kumar
सितंबर 29, 2025 AT 23:00सिल्वर की कीमतों के तेज़ी से बढ़ने को देखते हुए, मैं इसे व्यापक आर्थिक संकेतक मानता हूँ। वैश्विक मौद्रिक नीति में बदलाव और भारतीय त्योहारी मांग इस उछाल के मुख्य कारण हैं। निवेशकों को जोखिम प्रबंधन के साथ पोर्टफ़ोलियो में सीमित हिस्सेदारी रखना चाहिए। यह वृद्धि अल्पकालिक हो सकती है, इसलिए सतर्कता जरूरी है।
Shubham Abhang
अक्तूबर 5, 2025 AT 15:25भाई, सिल्वर की कीमतें इस साल, 30% तक उछल गईं, यह सच में, कई कारकों का मिश्रण है, जैसे, फेड का दर कटौती, डॉलर का गिरना, और हमारे देश में, नवरात्रि की भारी मांग, पूरे बाजार को उछाल देती है, वैसे भी, निवेशकों को, हमेशा सावधान रहना चाहिए, क्योंकि कीमतें जल्दी नीचे भी जा सकती हैं, ठीक है।
Trupti Jain
अक्तूबर 11, 2025 AT 07:50कमाल की बात है कि सिल्वर अब सिर्फ़ निवेश नहीं, बल्कि उद्योगों में भी बड़ा बवन बन गया है। परन्तु, इस तेज़ी से कीमतों में स्थिरता की गारंटी नहीं है, इसलिए सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए।
Rashi Jaiswal
अक्तूबर 17, 2025 AT 00:16सिल्वर की ये नई बुलिश ट्रेंड हमारे बाजार में नई संभावनाएँ लेकर आई है, और यह दिलचस्प है कि इस से छोटे निवेशक भी भाग ले रहे हैं। आशा है कि अगले कुछ महीनों में और भी अच्छा मोमेंटम बनेगा, चलिए इस उत्साह को बनाए रखें।
Balaji Srinivasan
अक्तूबर 22, 2025 AT 16:41सिल्वर की बढ़ोतरी उद्योगों को नई चुनौतियां देती है, हमें रणनीति बदलनी पड़ेगी।
Sandhya Mohan
अक्तूबर 28, 2025 AT 09:06सिल्वर के मूल्य में इस अचानक उछाल को देख कर, आशा और चिंता दोनों ही दिल में जगह बना लेते हैं। यह निवेश का एक आध्यात्मिक पहलू भी दर्शाता है, जहाँ हम धन को स्थिरता की तलाश में देखते हैं।
Prakash Dwivedi
नवंबर 3, 2025 AT 01:32सिल्वर की कीमतें इतने तेज़ी से बढ़ रही हैं, यह आर्थिक अस्थिरता का स्पष्ट संकेत है, निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए, नहीं तो नुकसान हो सकता है।
Rajbir Singh
नवंबर 8, 2025 AT 17:57सिल्वर की कीमतें डिमांड और मौद्रिक नीति दोनों से प्रभावित होती हैं, इसलिए बाजार की गति को समझना जरूरी है।
Swetha Brungi
नवंबर 14, 2025 AT 10:22नवरात्रि में सिल्वर की मांग ने कीमतों को नई ऊँचाई दी।
deepika balodi
नवंबर 20, 2025 AT 02:48उद्योगिक उपयोग को देखते हुए, सिल्वर की कीमतें उत्पादन लागत को प्रभावित करती हैं, इसलिए कंपनियों को वैकल्पिक समाधान देखना चाहिए।
Priya Patil
नवंबर 25, 2025 AT 19:13सिल्वर की कीमतों में इज़ाफ़ा देखकर, हमें अपने निवेश पोर्टफ़ोलियो में संतुलन बनाना चाहिए। आप अपने जोखिम प्रोफ़ाइल के अनुसार, थोड़ी मात्रा में सिल्वर रख सकते हैं, जबकि अन्य एसेट क्लासेज़ में विविधता लाएँ। इससे दीर्घकालिक स्थिरता बनी रहेगी।
Maneesh Rajput Thakur
दिसंबर 1, 2025 AT 11:39अधिकतर लोग नहीं समझते कि सिल्वर की कीमतों में इस उछाल के पीछे छिपी आर्थिक रणनीति है, जहाँ बड़े वित्तीय संस्थान अपने लाभ के लिए बाजार को हेरफेर कर रहे हैं। इस कारण, व्यक्तिगत निवेशकों को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।