झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष, हेमंत सोरेन, शुक्रवार को बिरसा मुंडा जेल से रिहा हुए। यह रिहाई उच्च न्यायालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने के बाद संभव हो सकी। न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय की एकल पीठ ने सोरेन को जमानत देते हुए उन्हें 50,000 रुपये का बेल बॉन्ड और दो समान मात्रा की जमानत राशि भरने का निर्देश दिया।
हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी एक भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत की गई थी। उनकी रिहाई पर जेल के बाहर बहुत बड़ी संख्या में झामुमो के समर्थक मौजूद थे, जिन्होंने उनके पक्ष में नारे लगाए और जोरदार स्वागत किया।
जेल से निकलते समय, सोरेन ने अपने पिता और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का आशीर्वाद लिया और जनता को धन्यवाद दिया। उनकी पत्नी, कलपना सोरेन, जो कि स्वयं भी एक झामुमो विधायिका हैं, ने न्यायपालिका और जनता का समर्थन देने के लिए आभार प्रकट किया।
मामला तब उजागर हुआ जब प्रवर्तन निदेशालय को भूमि घोटाले के मुद्दे पर मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं की जानकारी मिली। इसके बाद, गहन जांच की गई जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की संलिप्तता के सबूत सामने आए। उनकी गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलकों में काफी हलचल मचाई थी।
जेल में बिताए गए समय के दौरान, सोरेन ने कई राजनेताओं और नेताओं से मुलाकात की। उनके समर्थकों का उन पर समर्थन लगातार बना रहा, जिसके कारण जेल से बाहर निकलने के बाद उन पर जनता का भरोसा और विश्वास और भी बढ़ गया।
सोरेन की रिहाई झारखंड की राजनीतिक स्थिति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। झामुमो समर्थक और सोरेन परिवार द्वारा किए गए प्रयासों ने जनता के बीच उनकी छवि को और मजबूत किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम झामुमो की राजनीतिक पकड़ को और बढ़ा सकता है।
झारखंड में अगली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, सोरेन का जेल से बाहर आना पार्टी के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। उनकी रिहाई के बाद, कई समर्थकों ने उनके कार्यालय और आवास के बाहर आत्मीयता और नई उम्मीदों के साथ प्रतिक्रिया दी।
झामुमो को अब एक नए उत्साह के साथ चुनावी दौड़ में उतारने की तैयारी करनी होगी। सोरेन की रिहाई पार्टी के लिए नई उम्मीदें और चुनावी संभावनाएं लेकर आ सकती है। उनके नेतृत्व में पार्टी अपने चुनावी प्रचार और रणनीतियों को फिर से सुदृढ़ करेगी।
अंततः, यह समय ही बताएगा कि हेमंत सोरेन की यह रिहाई और झामुमो की समर्पित टीम किस हद तक सफलता प्राप्त करेगी। लेकिन इतना जरूर है कि इस घटनाक्रम ने राज्य की राजनीतिक दिशा को एक नई दिशा दी है।
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