प्रसिद्ध दक्षिण भारतीय अभिनेता किच्चा सुदीप इस समय बेहद दुख में हैं क्योंकि उन्होंने अपनी प्रिय मां सरोजा संजीव को खो दिया है। उनका निधन 20 अक्टूबर, 2024 को हुआ और वे 86 वर्ष की थीं। यह नुकसान परिवार के लिए गहरा सदमा है क्योंकि सरोजा जी का संबंध सुदीप से बहुत गहरा और भावनात्मक था। वे उम्र से संबंधित बिमारियों से जूझ रही थीं, और अंततः उनका जीवन समाप्त हो गया।
उनके पार्थिव शरीर को दोपहर के समय उनके घर लाया गया, जहां विभिन्न क्षेत्रों के लोग, विशेषकर कन्नड़ फिल्म उद्योग और राजनीतिक क्षेत्र के लोग, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्माई शामिल थे, जिन्होंने इस दुखी क्षण में किच्चा सुदीप को सांत्वना दी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर सुदीप की दुखभरी तस्वीर साझा की और लिखा, 'मैं बेहद दुखी हूं कि अभिनेता सुदीप की मां सरोजा का निधन हो गया। परमात्मा उन्हें और उनके परिवार को इस कठिन समय को सहने की शक्ति दें।'
कन्नड़ फिल्म बिरादरी से भी कई महानुभावों ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। 'कांतारा' के अभिनेता ऋषभ शेट्टी ने सोशल मीडिया पर अपनी संवेदनाएं साझा कीं और लिखा, 'प्रिय किच्चा सुदीप सर, आपकी मां के निधन पर मेरी गहरी संवेदनाएं। उनका आत्मा शांति पाए और इस कठिन घड़ी में आप और आपका परिवार धैर्य और सांत्वना पाए।'
यह बात स्पष्ट है कि सुदीप का अपनी मां के साथ विशेष स्नेहपूर्ण संबंध था। वे हमेशा उन्हें उनके करियर और जीवन के हर रूप में समर्थन देती रहीं। उनके जाने से सुदीप और पूरे परिवार को गहरा आघात पहुंचा है।
स्थानीय समय के अनुसार शाम 7 बजे वाकरुबेशश्वरम शमशान में उनके अंतिम संस्कार की विधि पूरी की गई। यहां मौजूद सभी ने सुदीप और उनके परिवार को सांत्वना दी। यह घटनाक्रम कैसे फिल्मी दुनिया के लोगों को एकजुट कर सकता है, यह मामला उसकी एक मिसाल है।
इस कठिन समय में, सभी के अल्फाज़ एक ही भावना को व्यक्त करते हैं कि सरोजा जी के निधन से हुई क्षति अपूरणीय है। इस दुखद खबर के बीच, यह उम्मीद की जा सकती है कि सुदीप और उनका परिवार इस संकट को पार कर सके और उनके सेहन शक्ति की हम कामना करते हैं।
कैमरों के सामने चाहे कितने भी खुशमिजाज दिखें, लेकिन पर्दे के पीछे की जिंदगी में सुदीप अपनी मां के बेहद करीब थे। वह हमेशा हर परिस्थिति में अपने परिवार को प्राथमिकता देते हैं। इसी गहरी बहनापन के बीच आज सुदीप अपने दर्द को सार्वजनिक तौर पर जी रहे हैं। यह किस्से हमें यह सिखाते हैं कि जब बात परिवार की आती है, तो सिनेमा भी मायने नहीं रखता। सुदीप के चेहते फैंस और सहयोगी भी इस मुश्किल वक्त में उनके साथ खड़े हैं।
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