राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2024 का अवसर, वो समय जब लोग शिक्षा के महत्व को समझते हैं, लेकिन इस वर्ष एक अद्वितीय कहानी हमारे सामने आई। यह कहानी है भारतीय अभिनेता भगीश्री की जिन्होंने 45 वर्ष की आयु में अपने शिक्षा को पुनः आरंभ किया। यह प्रेरणादायक किस्सा न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत यात्रा की बात करता है, बल्कि यह उन सब को दिशा दिखाता है जो जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं।
भगीश्री, जिन्होंने 'मैने प्यार किया' जैसे फिल्मों में अपने अभिनय से जाने जाती हैं, ने एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या के चलते अपनी जिन्दगी की दिशा बदल ली। जब वे 'फ्रोजन शोल्डर' जैसी गंभीर स्थिति से गुजरीं, तो उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि उन्हें अपनी सेहत की ओर और ध्यान देना होगा। और शायद यही वह क्षण था जब उन्होंने शिक्षा की नई शुरुआत करने का निर्णय लिया। जहां एक तरफ यह निर्णय उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण था, वहीं दूसरी तरफ यह उनके जीवन को एक नई दिशा देने वाला भी था।
भगीश्री ने अपनी इस नई शुरुआत के लिए ऑनलाइन कोर्सेज को चुना। उन्होंने दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों से पोषण और फिटनेस संबंधित कोर्सेज किए। उन्होंने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, और अमेरिकन फिटनेस प्रोफेशनल्स एंड एसोसिएट्स से शिक्षा प्राप्त की, जिससे न सिर्फ उनका ज्ञान बढ़ा बल्कि उनका स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ। उनका ऐसा मानना है कि शिक्षा के लिए उम्र कभी बाधक नहीं होती।
न केवल इसने उन्हें एक बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद की, बल्कि यह मानसिक रूप से भी उन्हें पहले से अधिक मजबूत और सक्षम बना दिया। 55 वर्ष की उम्र में, भगीश्री अपने तीसवें दशक से भी अधिक शारीरिक रूप से मजबूत और स्वस्थ महसूस करती हैं। यह केवल शिक्षा के प्रति उनके समर्पण और एकाग्रता का ही परिणाम था।
भगीश्री ने न केवल अपने पुनः शिक्षा प्राप्त करने की यात्रा को साझा किया, बल्कि अपने करियर और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाने की चुनौतियों के बारे में भी बात की। 1989 में, जब वे 'मैने प्यार किया' की शूटिंग कर रही थीं, तो उन्होंने अपने कॉलेज की पढ़ाई भी जारी रखी। यह इस बात का एक शक्तिशाली उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे शिक्षा को अपने करियर के साथ संतुलित किया जा सकता है।
उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वे शूटिंग शेड्यूल के बावजूद कॉलेज की लेक्चर में भाग लेती रहें। उन्होंने अपने बच्चों, अभिनेताओं अभिमन्यु दसानी और अवंतिका दसानी के जीवन में भी शिक्षा के महत्व को स्थापित किया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके बच्चे भी शिक्षा की अहमियत को समझें और अपने करियर के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखें।
अपने जीवन की इस यात्रा को दर्शाते हुए, भगीश्री ने कहा कि शिक्षा को फिर से शुरु करने का निर्णय उनके जीवन में क्रांतिकारी था। इसने न केवल उनके शरीर को स्वास्थ्यवान बना दिया, बल्कि उनके सोचने और जीवन को देखने के तरीके को भी पूरी तरह बदल दिया।
उनकी यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कैसे एक स्वास्थ्य समस्या ने उन्हें पुनः शिक्षा की ओर ध्यान देने की प्रेरणा दी और कैसे इसने उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए। यह शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और दृढ़ता का प्रदर्शन करती है और उन लोगों को प्रेरित करती है जो उम्र और जिम्मेदारियों के कारण अपनी शिक्षा अधूरी छोड़ चुके हैं। उन सब के लिए यह कहानी एक प्रेरणादायक संदेश है कि कभी भी देर नहीं होती जीवन में कुछ नया सीखने के लिए।
भगीश्री की यह यात्रा न केवल प्रेरणा से भरी है बल्कि यह एक सबक भी है कि कैसे शिक्षा से जीवन में वास्तविक बदलाव लाए जा सकते हैं। यह उनके दृढ़ संकल्प और शिक्षा के प्रति अगाध प्रेम को दर्शाती है जो आज के समय में खासकर युवाओं और महिलाओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करती है।
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