मनमोहन सिंह – जीवन, नीतियाँ और भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा
जब हम मनमोहन सिंह, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, अर्थशास्त्री और दो कार्यकाल (2004‑2014) में प्रमुख आर्थिक एवं सामाजिक सुधारों के चालक. Also known as डॉ. मनमोहन सिंह, they combined technocratic expertise with political leadership, paving the way for a modernizing agenda. उनका उद्देश्य सिर्फ ग्रोथ नहीं, बल्कि सतत विकास था। इस पृष्ठ पर हम देखते हैं कि कैसे उनका दृष्टिकोण आर्थिक नीति, वित्तीय सुधार और विदेश नीति के साथ जुड़ा रहा।
आर्थिक नीति और वित्तीय सुधार
पहला प्रमुख घटक आर्थिक नीति, वैश्विक उदारीकरण, फ़िस्कल प्रोत्साहन और बुनियादी ढाँचे की तेज़ी से विकास का संगम है। मनमोहन सिंह ने इस नीति को भारतीय बाजार को खोलने, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और कर सुधारों के जरिए राजस्व बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया। आर्थिक नीति ने वित्त मंत्रालय को नई दायित्वें दीं – बजट में आत्मनिर्भरता, GST जैसी कर प्रणाली का परिचय। वित्त मंत्रालय (एक और मुख्य इकाई) के बिना यह परिवर्तन संभव नहीं था, क्योंकि वित्त मंत्रालय, सरकार के वित्तीय निर्णयों को लागू करने वाला मुख्य एजेंसी बजट में संकल्पित सुधारों को धरातल पर लाता है। इस प्रकार, मनमोहन सिंह की आर्थिक नीति ने वित्तीय सुधार को प्रेरित किया, जिससे भारत की जीडीपी वृद्धि में स्थिरता आई।
एक और ज़रूरी कड़ी विदेशी नीति, देश के अंतरराष्ट्रीय संबंधों, व्यापार समझौतों और रणनीतिक साझेदारियों को आकार देने वाला ढांचा है। उन्होंने अमेरिका, यूरोप और आसिया‑पैसिफिक के साथ आर्थिक सहयोग को गहरा किया, जिससे निर्यात‑उत्पादक क्षेत्रों को नई बाजारों का दरवाज़ा मिला। विदेशी नीति ने भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत किया, और यह आर्थिक नीति के लक्ष्यों को पूरक बन गया। इस interlink के जरिए, विदेश नीति और आर्थिक नीति ने मिलकर भारत को ग्लोबल मूल्य श्रृंखला में प्रमुख खिलाड़ी बना दिया।
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सामाजिक नीतियों को भी नहीं भूलाया गया। स्वास्थ्य, शिक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सुधारों ने आर्थिक विकास को जनसंतुष्टि के साथ जोड़ दिया। इन सब तत्वों को मिलाकर, उनका समग्र फ्रेमवर्क आज भी नीति निर्माताओं के लिए सीख बनता है। नीचे आपको विभिन्न लेख, विश्लेषण और समाचार मिलेंगे जो उनके आर्थिक पहल, वित्तीय सुधार, विदेशी संबंधों और सामाजिक पहलुओं को विस्तार से समझाते हैं। इन लेखों को पढ़ते हुए आप बेहतर समझ पाएँगे कि कैसे एक तकनीकी विशेषज्ञ ने भारत को 21वीं सदी की ओर मोड़ा।
मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री काल में पाकिस्तान यात्रा नहीं की: सचिन पाइलट की विशेष टिप्पणी
सचिन पाइलट ने यादगारी समारोह में कहा कि मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान नहीं गये क्योंकि उन्हें यह सही नहीं लगा। उन्होंने इस बात की तुलना अटल बीहरी वाजपेयी, एल.के. अद्वानी और नरेंद्र मोदी से की। कार्यक्रम में कई प्रमुख विद्वान और राजनेता उपस्थित थे, जहाँ सिंह की राष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु नीति पर भी चर्चा हुई।
और देखें