गोवर्धन पूजा: अर्थ, विधि और प्रमुख अनुष्ठान

जब गोवर्धन पूजा, एक प्रमुख वैदिक व्रत है जो भगवान कृष्ण की अनुग्रह प्राप्ति के लिए किया जाता है. इसे गोवर्धन तकहसी भी कहा जाता है, और यह सामान्यतः नवमी तिथि को विस्तृत किया जाता है। गोवर्धन पूजा का उद्देश्य केवल पूजा नहीं, बल्कि कृष्णभक्ति को बढ़ावा देना, घर में समृद्धि लाना और कष्टों से मुक्ति प्राप्त करना है।

मुख्य संकल्प और सम्बंधित अनुष्ठान

इस व्रत में व्रत, एक सत्कर्म है जिसमें भोजन और परिभाषित समय तक रतन नहीं किया जाता लिया जाता है। व्रत का मुख्य नियम सुबह का उबले हुए शकरकंद या घी का सेवन करना और दोपहर में हल्की फड़की खिचड़ी बनाना है। साथ ही, हवेलीलीला, कृष्ण की माखनचोरियों और गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का पाठ इस पूजा में अनिवार्य है, क्योंकि यह कहानी व्रत के आध्यात्मिक सार को उजागर करती है।

व्रत के बाद, अन्नकूट, भोजन की प्रचुरता का प्रतीक, जो पिता के चरणों में अर्पित किया जाता है की व्यवस्था की जाती है। अन्नकूट में सात तरह की दालें, चावल, फल और मिठाईयों का मिश्रण तैयार किया जाता है, जिससे घर में आर्थिक उन्नति और शारीरिक स्वास्थ्य का आश्वासन मिलता है।

इन सभी अनुष्ठानों के बीच, भगवान कृष्ण को जल, फूल और धूप अर्पित करना, और “गोवर्धनाय नमः” मंत्र का जप करना अनिवार्य है। यह क्रमशः एक सेमांटिक त्रिपल बनाता है: "गोवर्धन पूजा व्रत को सम्मिलित करती है", "व्रत आत्मा को शुद्ध करता है", और "अन्नकूट समृद्धि लाता है"। इन कनेक्शनों से पाठक को स्पष्ट रूप से समझ आता है कि कैसे हर तत्व एक-दूसरे को सुदृढ़ करता है।

आजकल, सोशल मीडिया पर इस व्रत की लोकप्रियता बढ़ी है, और कई लोग इसे डिजिटल कैलेंडर में जोड़ते हैं। फिर भी, परम्परा की सच्ची भावना वही है—परिवार के साथ मिलकर तैयार होना, मान्यताओं को निभाना और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना। नीचे आप विभिन्न लेखों की सूची पाएँगे जो गोवर्धन पूजा के विभिन्न पहलुओं—कहानी, तैयारी, देहिक लाभ, और आधुनिक समय में प्रच्छन्न चुनौतियों—पर विस्तृत जानकारी देते हैं। इन लेखों को पढ़कर आप अपने घर में इस पवित्र समारोह को सहजता से आयोजित कर सकते हैं।

गोवर्धन पूजा 2024: शुभ मुहूर्त, पौराणिक महत्व और पूजा विधि
1 नवंबर 2024 Sanjana Sharma

गोवर्धन पूजा 2024: शुभ मुहूर्त, पौराणिक महत्व और पूजा विधि

गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसे कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को मनाया जाता है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा इंद्रदेव के अहंकार को समाप्त करने की कथा से जुड़ा है। 2024 में, यह 2 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसमें गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इस दिन लोग पर्यावरण संरक्षण और समुदाय की महत्ता को भी समझते हैं।

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