बैंक ऑफ इंग्लैंड – क्या है, कैसे काम करता है और क्यों है महत्त्वपूर्ण?

जब हम बैंक ऑफ इंग्लैंड को देखते हैं, तो यह यूके की मौद्रिक नीति बनाता और लागू करता है. साथ ही इसे रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंग्लैंड भी कहा जाता है, जो आर्थिक स्थिरता और कीमतों को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। इस टैग पेज में आप उन लेखों का संकलन पाएँगे जो इस संस्थान के निर्णयों, घोषणाओं और उनके प्रभावों पर गहराई से बात करते हैं।

ब्याज दर – बैंक ऑफ इंग्लैंड का प्रमुख हथियार

ब्याज दर को समझने के लिए पहले ब्याज दर, केंद्रीय बैंक का वह मुख्य उपकरण है जिससे वह महँगाई और आर्थिक गति को नियंत्रित करता है पर नजर डालते हैं। जब बैंक ऑफ इंग्लैंड रेपो दर बढ़ाता है, तो बाजार में पैसे की उपलब्धता घटती है, जिससे उपभोग और निवेश धीमा हो जाता है। उल्टे, दर घटाने से ऋण सस्ता होते हैं और कंपनियों एवं घरों के लिए खर्च आसान हो जाता है। इस प्रकार, बैंक ऑफ इंग्लैंड ब्याज दर तय करता है और यह कदम सीधे तौर पर घरों की लोन किस्त, बचत के ब्याज और स्टॉक मार्केट की धड़कन को प्रभावित करता है।

ब्याज दर की इस प्रभावशीलता को समझने के बाद, हम देखते हैं कि यह दर कैसे आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करती है। उच्च दरें आमतौर पर महँगाई को दबाते हैं, जबकि कम दरें विकास को प्रोत्साहित करती हैं। इस कारण से, बैंक ऑफ इंग्लैंड अक्सर इन दो लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है।

ब्याज दर के अलावा, बैंक का एक और प्रमुख टूल है ओपन मार्केट ऑपरेशन, जिसका उपयोग वह बाजार में सरकार के बॉन्ड खरीद‑बेच कर तरलता को नियंत्रित करता है। यह टूल भी मौद्रिक नीति के बड़े हिस्से में आता है।

अब जबकि हम ब्याज दर की भूमिका देख चुके हैं, अगला कदम है मौद्रिक नीति के व्यापक ढाँचे को समझना।

मौद्रिक नीति – लक्ष्य, साधन और परिणाम

अगले प्रमुख घटक के रूप में मौद्रिक नीति, एक समग्र फ्रेमवर्क है जिसमें लक्ष्य (जैसे महँगाई 2 % लक्ष्य) और साधन (ब्याज दर, QE, स्टैंड‑बाय ऑप्शन) शामिल होते हैं को देखें। बैंक ऑफ इंग्लैंड का मुख्य लक्ष्य महँगाई को नियंत्रित रखना और रोजगार को प्रोत्साहित करना है। इसका मतलब है कि वह लगातार आर्थिक डेटा, रोज़गार रिपोर्ट और वैश्विक बाजार की हलचल को ट्रैक करता है।

जब महँगाई के संकेत बढ़ते हैं, तो बैंक अक्सर दरें बढ़ाता है या क्वांटिटेटिव ईज़िंग (QE) को घटाता है, जिससे पैसे की कीमत बढ़ती है और खर्च कम होता है। इसके विपरीत, मंदी के संकेत मिलने पर वह दरें घटा सकता है या अतिरिक्त तरलता प्रदान कर सकता है। इस तरह मौद्रिक नीति आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करती है और यह दिखाती है कि बैंक ऑफ इंग्लैंड मौद्रिक नीति के जरिए मूल्य स्थिरता का लक्ष्य रखता है

ये निर्णय केवल यूके तक सीमित नहीं रहते; यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) और फेडरल रिज़र्व जैसे बड़े आर्थिक सहयोगी अक्सर अपने कदमों को समन्वित करते हैं। इस कारण से, ECB, यूरोपीय संघ की केंद्रीय बैंक है, जो यूरोज़ोन की मौद्रिक नीति बनाती है और फेडरल रिज़र्व, अमेरिका की केंद्रीय बैंक है, जिसकी नीति वैश्विक पूँजी प्रवाह को प्रभावित करती है के निर्णयों को भी बैंक ऑफ इंग्लैंड ध्यान में रखता है। इस तरह अंतर‑राष्ट्रीय सहयोग बैंक ऑफ इंग्लैंड को वैश्विक आर्थिक बदलावों के प्रति लचीला बनाता है

इन सभी टूल्स और लक्ष्यों का समग्र चित्र ही दर्शाता है कि मौद्रिक नीति कैसे काम करती है और क्यों यह वित्तीय स्थिरता के लिए अहम है।

वित्तीय स्थिरता और वैश्विक असर

बैंक ऑफ इंग्लैंड केवल ब्याज दर या मौद्रिक नीति तक सीमित नहीं है; उसका एक बड़ा काम वित्तीय स्थिरता, बैंकिंग सिस्टम, भुगतान नेटवर्क और वित्तीय संस्थाओं की मजबूती को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है है। यह कार्य उसके सुपरविजन डिवीजन द्वारा किया जाता है, जो बड़े बैंकों की पूँजी अनुपात, लिक्विडिटी कवरेज और जोखिम प्रबंधन की निगरानी करता है।

जब वित्तीय स्थिरता मजबूत होती है, तो आर्थिक शॉक (जैसे ब्रेक्सिट, कोविड‑19) के असर कम होते हैं और निवेशकों का भरोसा बना रहता है। इसलिए, बैंक ऑफ इंग्लैंड की रिपोर्ट्स अक्सर वित्तीय स्थिरता संकेतकों को भी शामिल करती हैं। इन संकेतकों में बैंकों के NPL (नॉन‑परफॉर्मिंग लोन) प्रतिशत, लिक्विडिटी कवरेज रेशियो और स्ट्रेस‑टेस्ट परिणाम शामिल होते हैं।

यह सब मिलकर दर्शाता है कि बैंक ऑफ इंग्लैंड वित्तीय स्थिरता और आर्थिक विकास दोनों को संतुलित करने की कोशिश करता है, और इस संतुलन में उसकी नीतियां घरेलू बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय पूँजी प्रवाह को भी आकार देती हैं।

अब आप देख सकते हैं कि इस टैग में मौजूद लेख कैसे इस पूरे परिप्रेक्ष्य को कवर करते हैं—चाहे वह हालिया दर परिवर्तन हों, मौद्रिक नीति के विवरण हों, या वित्तीय स्थिरता की रिपोर्टें हों। नीचे आप इन विषयों पर विस्तृत लेखों की सूची पाएँगे, जो आपको बैंक ऑफ इंग्लैंड की हर चाल के पीछे की तर्कशीलता समझने में मदद करेंगे।

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, 2008 के बाद सबसे ऊंचा स्तर
29 जुलाई 2024 Sanjana Sharma

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, 2008 के बाद सबसे ऊंचा स्तर

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की है, जिससे यह 1.75% हो गई है, जो 2008 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। इस निर्णय का उद्देश्य बढ़ती मुद्रास्फीति से निपटना है, जिसका अनुमान है कि यह आने वाले महीनों में 13% से अधिक हो जाएगी।

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