आर्थिक स्थिति – भारत के मौजूदा आर्थिक रुझान

जब हम आर्थिक स्थिति, देश की कुल आय‑व्यय, उत्पादन और वित्तीय माहौल का समग्र चित्र. इसे कभी‑कभी आर्थिक माहौल भी कहा जाता है की बात करते हैं, तो दो बड़े संकेतक तुरंत सामने आते हैं – RBI, भारत का केंद्रीय बैंक, जो मौद्रिक नीति बनाता है और GDP, कुल घरेलू उत्पादन, जो आर्थिक स्वास्थ्य का प्राथमिक संकेतक है. ये दोनों मिलकर मौद्रिक आपूर्ति, ब्याज दर और निवेश माहौल तय करते हैं। इसलिए आर्थिक स्थिति को समझने के लिए इन दो संकेतकों को ट्रैक करना जरूरी है।

अगला बड़ा खिलाड़ी है महँगाई, वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में समय‑समय पर होने वाली वृद्धि. RBI के रेपो दर निर्णय सीधे महँगाई को प्रभावित करते हैं; जब दर बढ़ती है, तो कर्ज महँगा हो जाता है और कीमतों पर दबाव घटता है। दूसरी ओर, शेयर बाजार, स्टॉक्स और इक्विटीज़ का ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म, जो कंपनी की सूचनाओं और आर्थिक भावना से जुड़ा होता है महँगाई और ब्याज दर दोनों के उतार‑चढ़ाव को तुरंत प्रतिबिंबित करता है। हाल ही में IPO की भी लहर आई है; IPO, नई कंपनियों का सार्वजनिक रूप से शेयर जारी करना निवेशकों को नई संभावनाएँ देता है, लेकिन साथ ही बाजार की अस्थिरता को भी बढ़ा सकता है। इस तरह महँगाई, शेयर बाजार और IPO मिलकर आर्थिक स्थिति के कई पहलुओं को आकार देते हैं।

नीति, कर और व्यावसायिक माहौल

जब सरकार नई नीति या कर लागू करती है, तो वह सीधे आर्थिक स्थिति को बदलती है। उदाहरण के तौर पर, 2025 में GST सुधार, वस्तु एवं सेवा कर में बदलाव, जो उत्पादन लागत और कीमतों को प्रभावित करता है ने कई उद्योगों के ब्रेक‑इवन पॉइंट को बदल दिया। साथ ही, RBI ने अक्टूबर 2025 में रेपो दर 5.5% पर स्थिर रखी, जो विदेशी टैरिफ और घरेलू मांग दोनों को संतुलित करने की कोशिश थी। इन नीति कदमों के साथ, कंपनियों के निवेश निर्णय, जैसे महँगी ऑटोमोबाइल की लॉन्चिंग या नई तकनीक में निवेश, आर्थिक स्थिति पर असर डालते हैं। इसलिए आर्थिक स्थिति को समझने के लिए नीति‑परिवर्तन, कर संरचना और केंद्रीय बैंक के कदमों को जोड़‑जोड़ कर देखना चाहिए।

इन सभी तत्वों—RBI, GDP, महँगाई, शेयर बाजार और नीति‑परिवर्तन—के बीच का जटिल जाल ही भारत की आर्थिक स्थिति को निर्धारित करता है। नीचे आप देखेंगे विभिन्न समाचार और विश्लेषण जो इन पहलुओं को अलग‑अलग या मिलाकर समझाते हैं, जिससे आपके पास एक व्यापक चित्र बनेगा और आप अपने वित्तीय निर्णयों को बेहतर बना सकेंगे।

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, 2008 के बाद सबसे ऊंचा स्तर
29 जुलाई 2024 Sanjana Sharma

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, 2008 के बाद सबसे ऊंचा स्तर

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की है, जिससे यह 1.75% हो गई है, जो 2008 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। इस निर्णय का उद्देश्य बढ़ती मुद्रास्फीति से निपटना है, जिसका अनुमान है कि यह आने वाले महीनों में 13% से अधिक हो जाएगी।

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