सोनम वांगचुक – प्रेरणा और इनोवेशन की कहानी

जब बात सोनम वांगचुक की हो, तो यह एक भारतीय इंजीनियर, शिक्षाविद और सामाजिक उद्यमी हैं, जो हिमालयी क्षेत्रों में शिक्षा और जल प्रबंधन को सशक्त बनाने के लिए काम करते हैं की आती है। अक्सर उन्हें हिमाचल के दादागिरि के नाम से भी बुलाया जाता है। उनका काम सिर्फ तकनीकी समाधान नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों को सशक्त बनाने का तरीका है। यहाँ तक कि हिमाचल प्रदेश में कई स्कूलों में उनकी शिक्षा मॉडल लागू हो चुकी है, जिससे ग्रामीण बच्चों को उच्च शिक्षा का दरवाज़ा खुला है।

सोनम के प्रोजेक्ट्स की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे डिज़ाइन थिंकिंग को सामाजिक चुनौतियों के समाधान में उतारते हैं। उनका मानना है कि "डिज़ाइन थिंकिंग शिक्षा सुधार को तेज़ी से आगे बढ़ा सकती है" – यही एक समानांतर सोच है जो पारंपरिक तरीकों को तोड़ती है। इस दृष्टिकोण से उन्होंने लोहा गेट (Loha Gate) जैसी नवाचारी जल संरचनाएँ तैयार कीं, जिससे बर्फ के पिघलने वाले जल को वर्षा जल के रूप में संग्रहित किया जा सके। यही कारण है कि हिमाचल के कई कस्बों में सूखे के डर कम हो गया है।

सोनम वांगचुक के प्रमुख प्रोजेक्ट्स

उनकी सबसे प्रसिद्ध पहल सोनम वांगचुक की कहानी में भारत इंडियन इनोवेशन के रूप में देखी जा सकती है: 1999 में शुरू हुआ सेलेस्ट (SELEST) स्कूल मॉडल, जिसने बच्चों को प्रायोगिक विज्ञान और स्थानीय समस्याओं पर काम करने के लिए प्रेरित किया। इससे न सिर्फ पढ़ाई में सुधार हुआ, बल्कि छात्र अपनी बातों को स्वर देने लगे। इस मॉडल ने दिखाया कि "सामाजिक इनोवेशन स्थानीय जरूरतों से जुड़ा होना चाहिए"।

एक और उल्लेखनीय प्रकल्प, हिमाचल जल संरक्षा, उनका जल संग्रहण पर केंद्रित प्रयास है। इस प्रोजेक्ट में उन्होंने बर्फ के टुकड़ों को बचाने और गर्मियों में जल उपलब्धता को बढ़ाने के लिए सरल लेकिन प्रभावी तकनीकें लागू कीं। परिणामस्वरूप, कई दूरस्थ गांवों ने अब कृषि में निर्भरता घटाई और फसल उत्पादन बढ़ा। यह उदाहरण स्पष्ट करता है कि "स्थानीय जल संसाधन प्रबंधन में इनोवेशन सीधे जीवन स्तर में सुधार लाता है"।

सोनम की सोच केवल तकनीकी नवाचार तक सीमित नहीं है; वह सामाजिक बदलाव के लिए नेतृत्व (लीडरशिप) भी बड़ी अहमियत देते हैं। उनका मानना है कि "लीडरशिप का असली मापदंड लोगों को खुद के समाधान खोजने में मदद करना है"। इसलिए उन्होंने कई सामुदायिक कार्यशालाओं का आयोजन किया, जहाँ ग्रामीण युवा डिजाइन थिंकिंग की तकनीकों से परिचित हुए और अपने गांव में समस्याओं के समाधान ढूँढने लगे। इस प्रक्रिया ने सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए नई नौकरी के अवसर भी पैदा किए।

आज भी सोनम वांगचुक नई पीढ़ी के साथ जुड़े हुए हैं। उनका लक्ष्य सतत विकास (सस्टेनेबल डिवेलपमेंट) को एक व्यवहार्य लक्ष्य बनाना है, जहाँ शिक्षा, जल प्रबंधन और इनोवेशन एक साथ मिलकर काम करें। जैसे ही हम इन प्रोजेक्ट्स को देखते हैं, स्पष्ट होता है कि "सोनम वांगचुक के कार्य हिमाचल प्रदेश में परिवर्तन की बुनियाद रख रहे हैं"। इस टैग पेज में आप उनके विभिन्न पहलुओं, प्रोजेक्ट्स और उनके विचारों से जुड़े लेख पढ़ेंगे, जो आपको उनके विचारों की गहराई समझने में मदद करेंगे।

नीचे आप पाएँगे उन सभी लेखों की सूची, जिनमें सोनम की विभिन्न पहलों, उनके प्रभाव और उनके द्वारा प्रेरित बदलावों की विस्तृत चर्चा है। यह संग्रह आपके लिए एक व्यापक गाइड है, चाहे आप उनका काम जानना चाहते हों या अपने ही प्रोजेक्ट में इन विचारों को लागू करना चाहते हों।

सोनम वांगचुक ने लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ाने वाले प्रदर्शनकारियों की हिरासत को कहा 'कलंक'
14 अक्तूबर 2024 Sanjana Sharma

सोनम वांगचुक ने लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ाने वाले प्रदर्शनकारियों की हिरासत को कहा 'कलंक'

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने नई दिल्ली में लद्दाख भवन के बाहर प्रदर्शनकारियों की हिरासत को 'लोकतंत्र पर कलंक' बताया है। प्रदर्शनकारी, जिनमें छात्र और वांगचुक के समर्थक शामिल हैं, राज्यत्व की माँग कर रहे थे। उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की कोशिश की पर दिल्ली पुलिस ने अवैध सभा कहकर उन्हें हिरासत में ले लिया। वांगचुक ने इसे शांतिपूर्ण विरोध की अभिव्यक्ति पर सवालिया निशान बताया।

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