सरकार से जुड़ी ताज़ा ख़बरें और विश्लेषण
सरकार, देश की प्रशासनिक संस्था जो कानून बनाती, कार्यान्वित करती और जनजीवन को नियंत्रित करती है. Also known as हुकूमत, यह विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से आर्थिक व सामाजिक दिशा निर्धारित करती है. यह सरकार के निर्णयों को समझने के लिए तीन मुख्य घटकों को देखना जरूरी है: RBI, भारतीय रिज़र्व बैंक, जो मौद्रिक नीति बनाता और रेपो दर तय करता है, टाटा मोटर्स, भारत का प्रमुख ऑटो निर्माता, जिसका देमर्जर सरकार ने स्वीकृति दी और बजट, सरकार का वार्षिक वित्तीय दस्तावेज़, जिसमें खर्च और राजस्व का अनुमान होता है. इन सबका किस तरह तालमेल है, यही इस पेज की मुख्य कहानी होगी.
आर्थिक नीति और मौद्रिक निर्णय
जब RBI ने अक्टूबर 2025 की बैठक में रेपो दर 5.5% पर स्थिर रखी, तो यह संकेत मिला कि केंद्रीय सरकार मौद्रिक स्थिरता को प्राथमिकता दे रही है। स्थिर रेपो दर का मतलब कम ब्याज पर ऋण, जो छोटे व्यवसायों और बड़े उद्योगों दोनों को लाभ पहुंचाता है। यह निर्णय अमेरिकी टैरिफ और नई GST सुधारों के बाद आया, जिससे सरकार की विदेश नीति और कर नीति का प्रत्यक्ष असर मौद्रिक दिशा में दिखता है। इसी बीच, वित्त मंत्रालय ने बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग बढ़ाई, जिससे निर्माण क्षेत्र में नई नौकरियां पैदा होंगी। जब सरकार ने कृषि सब्सिडी और डिजिटल पहल का पैकेज पेश किया, तो यह दिखा कि आर्थिक नीति सिर्फ बड़े आंकड़े नहीं, बल्कि खेतों, स्कूलों और अस्पतालों तक भी पहुँचती है. इन सभी कदमों से स्पष्ट होता है कि सरकार की आर्थिक रणनीति मौद्रिक और राजकोषीय दोनों पहलुओं को एक साथ चलाती है – एक साफ़ उदाहरण है "सरकार आर्थिक नीति बनाती है, RBI उसकी क्रियान्वयन में सहयोग देता है".
दूसरी ओर, टाटा मोटर्स के देमर्जर को मंजूरी मिलते ही बाजार में नई ऊर्जा का संचार हुआ। सरकार ने इस कदम को "उद्योग के विकास और शेयरधारकों के हित में" कहा, जिससे दोनों नई कंपनियों को स्वतंत्र रूप से पूंजी जुटाने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने का मौका मिलेगा। इस तरह की स्वीकृति यह बताती है कि सरकार बड़े कॉरपोरेट स्ट्रक्चर में परिवर्तन को समर्थन देती है, बशर्ते वह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करे। देमर्जर के साथ दो नई सूचीबद्ध कंपनियों का उदय होगा, जो स्टॉक मार्केट में तरलता बढ़ाएगा और निवेशकों को विविध विकल्प देगा। यहाँ सरकार का रोल केवल मंजूरी तक सीमित नहीं, बल्कि नियमों के स्पष्ट फ्रेमवर्क के साथ कंपनियों को सही दिशा में ले जाने में भी है.
अभी तक के बहसों में यह भी दिखा कि सरकार सामाजिक मुद्दों को भी ध्यान में रखती है। उदाहरण के तौर पर, महिला सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा में नई पहलें लगातार सामने आ रही हैं। हर एक नीति का अंतर्विरोधी असर होता है – चाहे वह क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन में खिलाड़ी‑केन्द्रित बदलाव हो या सार्वजनिक स्वास्थ्य में टीकाकरण अभियान। इस तरह की विविधता यह दर्शाती है कि "सरकार विभिन्न क्षेत्रों में नीति बनाती है, जिससे जीवन के हर कोने में बदलाव आता है". नीचे आप इन सभी क्षेत्रों से जुड़ी ताज़ा ख़बरें और गहरी विश्लेषण पाएँगे। चाहे आप आर्थिक निर्णयों में रुचि रखते हों, या कॉरपोरेट स्ट्रक्चर में बदलाव को समझना चाहते हों, इस संग्रह में हर लेख आपके सवालों का जवाब देगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा: लोकसभा के पहले सत्र से पहले, लोग चाहते हैं असली मुद्दे, नारेबाजी नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले जोर देकर कहा कि उनकी सरकार सभी को साथ लेकर चलने और सहमति बनाने का प्रयास करेगी। उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल को लेकर निशाना साधते हुए इसे लोकतंत्र पर 'काला धब्बा' बताया। मोदी ने कहा कि लोग संसद में बहस और मेहनत चाहते हैं, न कि नाटक और विघटन, और नारेबाजी नहीं।
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