लोकतंत्र: भारत में आज की धारणा और चुनौतियां

जब हम लोकतंत्र, सत्ता का वह रूप जहाँ निर्णय जनता की इच्छा से लिये जाते हैं. Also known as Democracy की बात करते हैं, तो कई घटक एक साथ काम करते हैं। सबसे पहले निर्वाचन, जनता के प्रतिनिधियों को चुनने की प्रक्रिया. इसे कभी‑कभी वोटिंग भी कहते हैं लोकतांत्रिक प्रणाली की रीढ़ है। इसके बिना लोकतंत्र का दायरा सीमित रह जाता है। इसके साथ संसदीय प्रणाली, कानून बनाने और कार्यपालिका को नियंत्रित करने की व्यवस्था. इसे Parliamentary system भी कहा जाता है सामाजिक मत को नीति में बदलती है। अंत में नागरिक अधिकार, स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति और समानता के बुनियादी हक. इन्हें Fundamental rights कहा जाता है — ये अधिकार लोगों को आवाज़ देते हैं और लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाते हैं।

मुख्य पहलू और उनका परस्पर प्रभाव

लोकतंत्र संसदीय प्रणाली को सक्षम बनाता है, जिससे विधायी कार्य तेज़ और जवाबदेह होते हैं। वहीं निर्वाचन नागरिक अधिकारों पर आधारित है, इसलिए मतदान का हक हर नागरिक के लिए अनिवार्य है। इन तीनों के बीच की कड़ी यही बताती है कि लोकतंत्र सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक जटिल नेटवर्क है जो जनता की भागीदारी, संस्थागत भावना और कानूनी सुरक्षा को जोड़ता है। भारत में आज के राजनीतिक परिदृश्य में ये तत्व नया रूप ले रहे हैं — सोशल मीडिया से प्रचार, युवा वोटरों की भागीदारी, और संसद में बहुपक्षीय चर्चा। इन बदलावों को समझना ज़रूरी है ताकि आप समाचारों को बेहतर ढंग से पढ़ सकें।

आगे पढ़ते हुए आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न खबरें — चाहे वह बॉलीवुड में काम‑जीवन संतुलन की बहस हो, या क्रिकेट में चयन प्रक्रिया, या आर्थिक नीति में RBI की निर्णय — सभी लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर गूँजती हैं। यह संग्रह आपके लिए एक व्यापक दृश्य प्रदान करेगा, जहाँ आप विभिन्न दृष्टिकोणों से लोकतंत्र को देख पाएँगे। अब चलिए, नीचे दी गई लेखों की सूची में डुबकी लगाते हैं और देखते हैं कि इस बड़े विषय के भीतर किन‑किन पहलुओं को हम कवर कर रहे हैं।

सोनम वांगचुक ने लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ाने वाले प्रदर्शनकारियों की हिरासत को कहा 'कलंक'
14 अक्तूबर 2024 Sanjana Sharma

सोनम वांगचुक ने लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ाने वाले प्रदर्शनकारियों की हिरासत को कहा 'कलंक'

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने नई दिल्ली में लद्दाख भवन के बाहर प्रदर्शनकारियों की हिरासत को 'लोकतंत्र पर कलंक' बताया है। प्रदर्शनकारी, जिनमें छात्र और वांगचुक के समर्थक शामिल हैं, राज्यत्व की माँग कर रहे थे। उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की कोशिश की पर दिल्ली पुलिस ने अवैध सभा कहकर उन्हें हिरासत में ले लिया। वांगचुक ने इसे शांतिपूर्ण विरोध की अभिव्यक्ति पर सवालिया निशान बताया।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा: लोकसभा के पहले सत्र से पहले, लोग चाहते हैं असली मुद्दे, नारेबाजी नहीं
24 जून 2024 Sanjana Sharma

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा: लोकसभा के पहले सत्र से पहले, लोग चाहते हैं असली मुद्दे, नारेबाजी नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले जोर देकर कहा कि उनकी सरकार सभी को साथ लेकर चलने और सहमति बनाने का प्रयास करेगी। उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल को लेकर निशाना साधते हुए इसे लोकतंत्र पर 'काला धब्बा' बताया। मोदी ने कहा कि लोग संसद में बहस और मेहनत चाहते हैं, न कि नाटक और विघटन, और नारेबाजी नहीं।

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