लोकसभा सत्र – क्या है, कब होते हैं और इसका असर
जब हम लोकसभा सत्र, भारत की उच्च सदन में आयोजित वार्षिक या अधिवेशीय बैठकों की श्रृंखला. यह सभा संसद के निर्वाचित प्रतिनिधियों को बिल पेश करने, सवाल जवाब करने और राष्ट्रीय नीतियों पर चर्चा करने का मंच देती है. अक्सर इसे हाउस ऑफ द पीपल कहा जाता है क्योंकि यहाँ जनता के निर्वाचित सदस्य अपने मतदाता के हितों को रखकर आवाज़ उठाते हैं.
लोकसभा सत्र की मुख्य धुरी सांसद, वो लोग जो जनता के भरोसे चुनाव जीत कर इस हाउस में बैठते हैं होते हैं, जो विभिन्न पार्टियों से आते हैं और अपने‑अपने क्षेत्रों के मुद्दों को लाते हैं. सत्र में पेश किए जाने वाले बिल, विधायी प्रस्ताव जिनका मतदाता, संसद या राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदन आवश्यक है अक्सर बजट, कर सुधार या सामाजिक welfare से जुड़े होते हैं. इसलिए लोकसभा सत्र को भारत के वित्तीय वर्ष की योजना बनाने की कुंजी माना जाता है.
लोकसभा सत्र के प्रमुख चरण
पहला चरण है बजट प्रस्तुतीकरण, जहाँ वित्त मंत्रियों द्वारा आय‑व्यय का विवरण दिया जाता है और इसकी समीक्षा के बाद वोटिंग होती है. दूसरा चरण है प्रश्नकाल, जिसमें सांसद सरकार से सीधे सवाल पूछते हैं – यह पारदर्शिता बनाए रखने का महत्वपूर्ण साधन है. तीसरा चरण कानून निर्माण का है: प्रस्तावित बिल पर समिति रिपोर्ट, दोरी‑सहनिवेशन और अंतिम मतदान. इस क्रम में संसद, द्वि‑सदनीय लोकतांत्रिक संस्था जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों शामिल हैं की भूमिका स्पष्ट दिखती है. इन चरणों के बीच विभिन्न वाद‑विवाद, अधिनियमों का संशोधन और संसद सदस्य की व्यक्तिगत पहलें भी सामने आती हैं.
लोकसभा सत्र को समझने में एक और जरूरी संबंध है – यह विधायी प्रक्रिया को आर्थिक नीति से जोड़ता है. जब बजट पारित होता है, तो वह अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकारी खर्चे तय करता है, जिससे पूरे देश में विकास‑कार्य शुरू होते हैं. इसी तरह, सामाजिक सुधार बिल्स या रोजगार योजना वाली विधायें सीधे जनता के जीवन पर असर डालती हैं. इसलिए सत्र का समय‑तालिका, चाहे वह सामान्य सत्र हो या आपातकालीन सत्र, हमेशा राष्ट्रीय ध्यान का केन्द्र बन जाता है.
इन सभी बिंदुओं को देखते हुए, आपके सामने प्रस्तुत सूची में विभिन्न लेख, विश्लेषण और ताजगीपूर्ण रिपोर्टें मिलेंगी जो हालिया लोकसभा सत्र की प्रमुख बातें, सांसदों की बयानों और विधायी बदलावों को कवर करती हैं. अब आप नीचे स्क्रॉल करके इन लेखों को पढ़िए और समझिए कि इस सत्र ने राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज पर क्या‑क्या असर डाला है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा: लोकसभा के पहले सत्र से पहले, लोग चाहते हैं असली मुद्दे, नारेबाजी नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले जोर देकर कहा कि उनकी सरकार सभी को साथ लेकर चलने और सहमति बनाने का प्रयास करेगी। उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल को लेकर निशाना साधते हुए इसे लोकतंत्र पर 'काला धब्बा' बताया। मोदी ने कहा कि लोग संसद में बहस और मेहनत चाहते हैं, न कि नाटक और विघटन, और नारेबाजी नहीं।
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