अवैध खनन: भारत में चुनौतियाँ और जवाब

जब बात अवैध खनन, कानून तोड़कर धातु, रेत या पत्थर निकालना, जो पर्यावरण और स्थानीय लोगों को नुकसान पहुंचाता है. इसे अक्सर अनधिकृत खनन भी कहा जाता है तो तुरंत सवाल उठता है – इसका असर किस स्तर तक है और हम क्या कर सकते हैं?

एक बड़ा पर्यावरणीय प्रभाव, जैव विविधता का नुकसान, जलस्रोतों का प्रदूषण और जमीन का क्षरण. इसे कभी‑कभी इको‑डैमेज कहा जाता है, और यह सीधे धारा, खेती और पहाड़ी इलाकों की स्थिरता को बिगाड़ता है। इसलिए कहा जाता है कि अवैध खनन पर्यावरणीय गिरावट को तेज़ करता है।

इसे रोकने के लिए सरकार ने कई सरकारी नीतियां, जैसे खनन लाइसेंस जांच, सख्त सजा और डिजिटल मॉनीटरिंग सिस्टम. इनको नियमन उपाय भी कहा जाता है। यही कारण है कि सरकारी नीतियां अवैध खनन को रोकने में अहम भूमिका निभाती हैं।

स्थानीय समुदाय और उनकी चुनौती

जब खनन को बिना अनुमति के किया जाता है, तो स्थानीय समुदाय, गांव वाले, किसान और छोटे व्यापारियों पर आर्थिक और सामाजिक तनाव बढ़ जाता है। अक्सर वे रोजगार की तलाश में अनजाने में इस प्रक्रिया में फँस जाते हैं, इसलिए कहा जाता है कि स्थानीय समुदाय अवैध खनन से आर्थिक संघर्ष करते हैं। इन संघर्षों को समझना और समाधान देना sustainable development के लिए ज़रूरी है।

हमारी इस टैग पेज में आप पाएँगे विभिन्न पहलुओं पर लिखी हुई खबरें – कोर्ट केस, पर्यावरणीय रिपोर्ट, सरकारी आदेश और ग्रासरूट एक्टिविस्ट की कहानियाँ। इन लेखों को पढ़कर आप समझ पाएँगे कि अवैध खनन का दायरा कितना बड़ा है, कौन‑सी नीतियां काम कर रही हैं, और आम जनता कैसे प्रतिक्रिया दे रही है। अब नीचे के लेखों में गहराई से देखें और अपनाएँ कुछ ऐसे कदम जो इस समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं।

कटनी में अवैध माइनिंग पर कड़ा प्रहार: तीन खदानों के लाइसेंस निरस्त
27 मार्च 2025 Sanjana Sharma

कटनी में अवैध माइनिंग पर कड़ा प्रहार: तीन खदानों के लाइसेंस निरस्त

कटनी प्रशासन ने अवैध माइनिंग को लेकर बड़ी कार्यवाही की है। तीन खदानों के विस्फोटक लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं। इस कार्यवाही से माइनिंग माफिया के खिलाफ कठोर संदेश भेजा गया है।

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